Wednesday, May 2, 2007

भाग - एक



आज सुरुत्ती हे न तउने पाके दियना के अंजोर ह रइपुर भर मं बगरे हवय। जेन ल देखौ तेने ह रिंगी चिंगी ओन्हा पहिरे उच्छाह मं भरे हवय।

रइपुरा गांव के थनवारिन संग कतको मोटियारी टुरी टुकना मं सुआ धर के तरी नरी नाना, मोर सुअना गावत गौंटिया के दुआरी मं पहुंचिन। गौंटिया रामधन चउरा मं अपन संगवारी मन संग बइठे तास पत्ता खेलत रिहिस। थनवारिन ल देख के तास पत्ता मढ़ा दिस।

थनवारिन ह अपन संग के टुरी मन ले किहिस – लेव गावव ओ। तहां ले सब्बो झिन कनिहा ल निहुरा के तारी बजा बजा के गांवन लागिन।

सुअना रे सुअना, भई मोर सुवना
पहिली गवन के मैं डेहरी बइठारेंव
कि जब धन रहेव में भइल बपन के
के तम्मो नइ गए बनिजार
काकर संग खाइहों काकर संग खेलिहों
काला देख रइहों मन बांध
सासे संग खाइबे ननद संग खेलिबे
कि लहुरा देवर मन बांध
लहुरा देवर मोर बेटवा बरोबर
कि काला देखि रहवं मन बांधि
तोर अंगना चउरा बंधा ले
कि तुलसा ल देबे लगाय
नित नित छुइबे नित नित पितबे
कि नित नित दियना जलाय
तुलसा के बिरवा हरियर हरियर
कि मोर गोंसइया बनिहार
तुलसा के बिरवा झुरमुर भइया
कि गोंसइया गए रन जूझ

सुआ गीत तभे थमिस जभे गौंटिया ह पांच ठिन रुपिया अऊ एक ठिन लुगरा थनवारिन ल दिस। थनवारिन ह असीस देइस अऊ रेंग दिस दुसर दुआरी।

रामधन के संगी मन फेर तास मं रमिन। ओतके बेर मंगलू ह रामधन के दुआरी के आगू ले निकरिस। मंगलू ह अगुवागे त खिलावन ह किहिस – काली बनिया खेमचन्द ह कहत रिहिस के मंगलू उप्पर शनी चघे हवय तभी ले ओखर बंठाधार होइस हे।

रामधन ह हांसिस अऊ किहिस – कोढ़िया मनसे अइसने कथे गा खिलावन। जेकर ले कुछु कांही करत नइ बने उही ह कइथे के मोर करम ह फुटहा हे। मंगलू के चाल ह बने होतिस त कालाहंडी के नउकरी काबर छुटतिस ? ओला अपन घर दुआरी के बड़ मोह हे, दिन रात उही मं लगे रहिथे अऊ कइथे, मेंह ठलहा हौं, कोनो बूता ऊता मोला नइ मिलै।

रामधन के संगवारी ह किहिस – हहो गा संगी, तै बने कइथस, जेकर मन मं बात नइ लगय वो ह कभू कुछु नइ करे सकय। तोला मालूम नइये भइया रामधन, के मंगलू राजा असन किंजरत रइथे। फेर यहू बात हे कतको झिन ओखर मेंर तगादा आथें। आजेच सुखरू ह कइ देइस हे, काली ले चण्डी बन्द कर दुहूं।

तास पत्ता के खेल ह थम गे ये गोठ मं। मंगलू के हिन्ता करे मं सब्बो झिन ल मंजा आवत रिहिस। गोठ ह आगू चलिस। खिलावन फेर किहिस। - सरकार के पहिली पांचसाला योजना ह त फलित होगे अऊ दूसर ल फलित करे बर उपाय चलत हे, फेर भइया समझ मं नइ आवय के मंगलू ल कोनों बूता कइसे नई मिलिस।

रामधन ह किहिस – हमन ल काय करे बर हे जी, जइसन बोही तइसने लुही, कुकुर धोके बच्छवा नइ होवय। मंगलू ल मेंह बालपन ले जानथंव, ओमा कमई करे के गुन त हई नइये, मोर काये रद्दा मं मिलिस त राम राम हो जाथे। महूं जानथंव के मुंह लगाय मं ओह अपन मतलब गांठे के गुनही।

काय केहे जी ? दूसर संगी ह पुछिस त रामधन ह किहिस – मंगलू ल करजा मांगे के टकर परगेहे। ओह अभी ले मोर करा करजा मांगे ल त नई आइस हे फेर मंगना के कोन भरोसा, तउने पाय के मेंह ओखर ले दुरिहा रइथों।

दे गोठ ल सुनते खिलवान ह किहिस – नइगा भइया, तें ए फेर मं झन परबे। नइत ले बर लुपलुप, देय बर चुप चुप। मंगलू ह पइसा लहुटारे मं गजब किच्चक हवय।

ठउका केहेगा, महूं हा मांटी के गोटी नइ खेले हववं। मेंह वइसने टेम ल आन नइ दंव।
क्रमशः

No comments: