Wednesday, May 2, 2007

भाग - चौदह


मोंगरा के बिहाव के तियारी होगे रहय फेर देनी लेनी बर मंगलू के हाथ ह जुच्छा रिहिस। ओखर मन ह बढ़ दुखी रहय के एके ठिन बहिनी, फेर ओखर बिहाव मां मैं कुछु नइ देय सकत हवंव।

केतकी ह मने मन रोवत रहय के हमर तकदीर ह त फुटगे हवय, फेर मोंगरा के करम कइसे फुटहा होगे। मोंगरा के बिहाव देवी दाई के मड़िया मां होत रहय। केतकी ल अपन बिहाव के सुरता आगे। कतेक मनखे सकला गे रिहिन ओखर बिहाव मां। आनी बानी के गीद...।

खूंट धर अंगना पिबो वो मोर दाई
मोतियन चउक पुराबे वो
सोने के कलसा मढ़ाबे मोर दाई
हलर हलर मढ़वा डोले हो खलर खलर दाईज परे हो
कोन तोला नोनी टिके अचहर पचहर, कोन नोनी टिके घेनुगाय
दाई तोर नोनी टिके अचहर पचहर, ददा तोर टिके घेनुगाय
ये ही परम ले धरम मोर दाई, फेर धरम नइ पाबेगा

बिदा के बेरा मां मोर दाई ददा मन के जीय ह सुबुक सुबुक करत रहय। अपन करेजा ला दूसरा ल सउपे मां उनकर मन के जी ह सुख त पावत रहय, फेर दुख घला लागय। उही बेरा मां गीद गवइया डउकी मन के गीद के शुरुती –

मैं परदेसिन आवं
परमुलुक के रद्दा भुलागेंव
अउ परदेसिया के साथ
दाई कइथे रोज आबे बेटी
ददा कइथे आबे दिन चार
भइया कइथे तीजा पोरा
भउजी कहै कोनकाम
मैं परदेसिन आवं
परमुलुक के रद्दा भुलागेंव
अउ परदेसिया के साथ

मोला बिदा करे बर जम्मो गांव के लोगन सकला गे राहयं। अपन गांव ल अउ संग के सहेली मन ल छोड़त मां मोर जी ह कलपत रहय, मोर मन ह कहय।

पइयां परत हौं चन्दा सुरुज के
मोंला तिरिया जनम झिन देबे
तिरिया जनम मोर अति रे कलपना
मोला तिरिया जनम झिन देबे

देवी दाई के मढ़िया मां मोंगरा के बिहाव होगे। मंगलू अउ केतकी रो धो के मोंगरा ल फिरन्ता ल संउप दिन। फेर जात सगा वाला हिरकिन निहीं।

मोंगरा ह अपन ससुरार आगे रहय। ओह मने मन फिरन्ता के चाल ल चीन्हें बर उतियागे रहय।फेर बिहाव ले फिरन्ता घला सधवा असन बनगे रहय। मोंगरा ह जइसे पहिली फिरन्ता के बारे मां सुने रिहिस तइसे पाइस निहीं। बड़ खुशी लागय ओला के मोर मनखे ह बिहाव ले अपन नवा रद्दा निमेर लिस। कहूं अइसने देवता रइही त मोर जिनगी मां कोनों कोर कसर नइ खंगै।

फिरन्ता ल बिहाव बाद संकरी मां बंधाय असन लागय। ओह छुट्टा संडवा असन रहय। फेर ओह मोह के बंधना मां बंधागे रहय। दूध के जरे ह मही ल फूंक के पीथे। तइसने फिरन्ता ह बने रद्दा रेंगे, के मोर जोड़ी ह टोक झिन देवय के तैं ये कोन हिन्ता के रद्दा मां रेंगत हावस। फिरन्ता ह गुनय के मोंगरा ह मोर जोड़ी ये। सरप ह रेंगथे त टेड़गा मेंड़गा फेर अपन बिल मं सोझ होके खुसरथे। एकर बर बने इही होही के अपन बिहाता के जिनगी सुखी रहय कइके अपन चोरहा धन्धा ल लुक छिप के करे ला परही। आरो झिन मिलय मोर मोंगरा ला।मोर हाथ मां थोरको रुपिया सकला गे त नानमुन रोजगार धर लेहूं।
कहां जाथस गा अतेक बिहिनिया ले ?

अपन बूता मां।

तैं रोजेच बिहिनिया ले निकर जाथस अऊ बेर बूड़त ले तोर पता नइ रहय, मोर मन ह तोला देखे बर तरस जाथे।

कइसे करौं मोंगरा, बिन बूता के त नइ चलय। में इही मां लगे हावंव के थोरको रुपिया सकला जावय त नानकुन दुकान लगा लेतेंव, फेर मोर एती ओती के बुलाई ह सिरा जातिस।
ये त बने बात हे, तैं मोर गहना गुरिया ल गिरौ धर के रुपिया ले आन। बिहाव बर त अतेक गहना बनवाय फेर मांढ़े मांढ़े बाढ़ही त निहीं। रोजगार ह बाढ़ही त छुड़ा लेबोन।

तोर गहना ल रखे बिगर मेंह रुपिया लकेल डारहूं। तैं फिकर झिन कर, मेंह जात हवंव, बेरा ह चढ़त जात हे।

फिरन्ता बनउक गोठ ला मोंगरा ल कहय फेर ओखर मन ह ओला धिक्कारय, अपन जोड़ी ल अंधियार मां रखके कहां जाबे। फेर फिरन्ता ह अपन मन ल भुलवार लेवय कभू मोंगरा बर लुगरा त कभू बेंदा, त कभू लुरकी लान लान के देवय त मने मन ओला सुख मिलय।

मोंगरा ह बड़ सेवा करै अपन मनखे के। ओला फिरन्ता ह देउता असन लगै। ओखर मन ह कहय के बने रद्दा मां रेंगे लागिस त बनगे, नइ त ए जिनगी ह कइसे जातिस।

मनखे जब घर गिरस्ती के फेर मां फंस जाथे त मजबूरी ह ओखर नाथे असन सोझ रद्दा मां रेंगाय ल धर लेथे।

मोंगरा भगवान के असरा कइके संझा मंझनिया सुख के सपना देखय, के ओखर मनखे कुमार्गी रद्दा ल छोड़ के बने चाल चलही। ओखर बदी ह नेकी मं फिरबे करही। फेर ओला फिरन्ता के जुन्ना गोठ ह आगू आगू नाचे लगाय।

संकरी ह खटकिस। कोन ए ?

में आंव, खोल संकरी ल।

अइ । तोला का होगे, ओन्हा मन चिखला मं सनागे हावय।

कुछु नइ होय हे।

तोर मुख ले त मंद के बास ह आवत हे। तैं खराब चाल चलबे करबे तइसने लगथे।
चुप रह रे, बकर बकर झन कर।

मोंगरा ह जानगे के मंद के अधीन हवै, कोने बात के असर नइ होवय एखर उप्पर। वोह चुप्पे रइगे। फिरन्ता मांचा उप्पर परगे। ओखर आंखी ह झपागे रहय, ओह मंद के निसा मां सूतगे। मोंगरा ह ओला खाय ल गजब जगाइस। फेर ओह चेत नइ करिस। बिहिनियां जब सूत के उचिस त आंखी ह निच्चट लाली रहय। अउ मुंह ल बगार के जमुहाइ लेत रहय।

मोंगरा ह फिरन्ता ले रतिहा के बात नइ चलाइस। ओह अब यहू जानगे रहय के ओखर मनखे, जेन ल ओह देउता मान के बइठगे रिहिस, ओमा अभीले रकसा मन के चाल ह हमाय हावय। कइसे पार पाहूं। मेंह कुछु कइसे कहंव, काबर मन मोटाव होते हमर गिरस्ती ह चरमरा जाही।

फिरन्ता रतिहा के सुरता करके अपने उप्पर थूकत रहय। बड़ दिन ले त ओह डउकी मन असन लजावय अऊ मोंगरा ले बात करे मां डर्रावय घला, के मोंगरा ओ दिन के गोठ झिन निकारै।
क्रमशः

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