Wednesday, May 2, 2007

भाग - बत्तीस



गांव वाला मनके जी ह आज सही मां दुख पावत रहय। मंगलू जोन हमर गौंटिया के बेटा आय, बेरा कुबेरा एकर ददा ह हमर मन के मदत करै। तेखरे हमन हिन्ता करेन। जात ले अलगिया देन। तभो ओह कुछु नइ किहिस। कखरो हिन्ता नइ गोठियाइस। हमरो मन के आंखी ह अंधियागे। मंगलू नइ होतिस त हमार गांव के बढ़वारी कइसे होतिस। इही गुनके गांव वाला मन मिलके रामधन अउ उन्खर संगवारी मन के मुंह करिया पोतके गांव भर मां घुमाइन अउ छोड़ दिन।

रतिहा मंगलू ह मोटर मां बइठ के गांव पहुंचिस। अपन दुआरी मां गरदी देखके ओखर जी ह उड़ागै। काय होगे हे भगवान। मोटर ले उतरिस तइसने फिरन्ता ह मंगलू के गोड़ मं मूंड़ी नवा दिस। फिरन्ता के देखते ओला उठाके अपन कउरा मां पोटार लिस। ओला देखके मोंगरा के जी ह घला जुड़ागे। इन्कर मिला भेंटी होते रहय तइसने रामधन हा आके मंगलू के गोड़ तरी गिरगे। मंगलू ह कुछु समझे नइ सकीस।

का होगे गा भइया रामधन ?

मोर मुख ह नइ फुटय गा, तोर मिहनत के कमइ ल सतियानास कर डारतेंव गा, कहूं फिन्ता हठका बेरा नइ आतिस। मोला छमा कर दे गा।

गांव के पटेल ह जम्मो गोठ ल मंगलू ल बताइस फेर मंगलू ह धीर धरिस अउ किहिस – भइया रामधन मोर हक ल तैं नइ मार सकस। तभे त भगवान ह दू बच्छर के भगाय फिरन्ता ल भेजिस। जेखर भगवान साथ देथे तेखर कोनों बिगारा नइ करे सकयं। जा में कुछु नइ कहंव।

सरी गांव मां मंगलू के बढ़वारी के गोठ चलय। गांव वाला मन ओला अपन गांव के पंच बना दिन। मंगलू ह गांव के तरक्की बर बढ़ कोसिस करै। मंगलू के मिहनत ले रइपुरा गांव मां कइ ठिन कुआं खनागे। बड़का इस्कूल घला खुलगे। रइपुरा गांव के बढ़ोतरी ल देख के तीर तखार के गांव वाला मन घला अपन गांव के तरक्की बर मंगलू ले सलाह ले ल आवयं।

थोरके दिन बितिस त फिरन्ता ह मंगलू ले किहिस – भइया अब में अपन बखरी मां जाके रइहौं तइसने गुनथौं। कतेक दिन इहां परे रइहूं।

मंगलू किहिस – बाबू मोर कोनों भाइ नइये। दमांद अउ भाइ एके समझ। मोर घर मां रहौ अउ खेती के बढ़ती मां हाथ बंटावव। दिन ह साथ दिही त तुमला कोनों दुख नइ होही।

ये त बने हे गा, फेर मोर गिरस्ती कइसे चलही। घर ह सुन्ना परे रइही उहू बने नइये। में खेती मां तोरे संग काम करहूं फेर रहइ अपने घर के बने होथे।
बने हे गा, जब कइबे मोंगरा ल बिदा कर देबोन।

मोंगरा ह आज नवा दुलहिन असन सीधा-समान किसिम किसिम के लुगरा ओन्हां, दाइज लेके अपन ससुरार बर तियार होवत राहय। मंगलू के जी आज जुड़ागे अपन बहिनी ल अपन मनके जिनिस देके बिदा करे ले। गांव वाला मन के आंखी ह उघरगे आनी बानी के जिनिस ल देखके।

केतकी के आंखी ले आंसू ह बोहावत रहय, जइसे ओखर बेटी ह बिदा होवत हे। ओला सुरता आगे अपन दाई के असीस के –

मंगनी करेंव बेटी जंचनी करेंव ओ,
बर करेंव बेटी बिहार करेंव ओ,
गबन करेंव बेटी पठौनी करेंव ओ,
जा जा बेटी कमाबे खाबे ओ,
मार दीही बेटी रिसाय जाबे ओ,
मना लिही बेटी त मान जाबे ओ,
जांवर जोड़ी संगे बुढ़ा जाबे ओ,
सुख-दुख के रद्दा नहक जाबे ओ।

डोली उप्पर मोंगरा अउ फिरन्ता बइठे रहंय। दूनो झिन ल आज अइसे लगय के आजेच भांवर परे हे। एक दूसर ल लजाय असन देखैं।

ठउका बेरा मां पहटिया अउ पहटनिन मन खेत मां बूता करत करत ददरिया मां माते रहंय।

दुरिहा आवत दिखथे डोला
रानी के सुरता खींचत हे मोला
पेड़ सुखागे पानी के अकाल
देस घर छुटगे परगे जंजाल
बरा दार पछित धोइले
डउका के सुरता चिटिक रोइले
मारे चिरइ भेर बनदूख
चेहरा देखके निसाना गये चूक
रइपुर कलकत्ता अब्बड़ दुरिहा
मोर संग आजा देखाहूं कुरिया

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