Wednesday, May 2, 2007

भाग - एकत्तीस



मंगलू ल लेगे बर बिकास जोजना के मोटर-गाड़ी ह दुवारी मां आके लगगे। मंगलू अउ बइसाखू चउरा उप्पर बइठे एती-ओती के बात करत रहंय। मोटर गाड़ी के आते मंगलू ह केतकी ल हांक पारिस। मंगलू के हांक पारते केतकी, मोंगरा जम्मो माइ-पिल्ला दुआरी मां आगिन। मंगलू ह मोंगरा ले मोटर गाड़ी मं चघे बर किहिस। ओमन अघुवा के मोटर गाड़ी मां बइठगें।

जब मंगलू अउ बइसाखू घला मोटर गाड़ी मां चघे ल धरिन त जम्मों संगवारी मन संग रामधन ह ओती ले निकरिस। रामधन ल देखते मंगलू ह उहिन्चे ठाढ़ होगे अउ किहिस – कसगा भइया रामधन, तैं रइपुर नइ चलस गा ?

में काय करहूं जी उहां जाके। तोला मान मिलही तैं जा।
नइ गा गौंटिया, मोर मान त तुम्हरे मन ले हे। ये मान ह मोर नइ होवत हे। ए त हमर गांव अउ धरती माता के बढ़ई करेबर होवत हे।
मंगलू ह अउ कुछु कइतिस तेखर ले आघू रामधन ह रेंग दिस। मंगलू अपन जम्मों दुख के संगी संग मोटर मां बइठ के रइपुर बर चल दिस।

मंगलू अपन माई पिल्ला संग मोटर गाड़ी ले उतरिस त रइपुर के कलेट्टर साहेब ह मंगलू ल गोंदा के फूल के बड़का हार पहिराइस। ओतके बेह कइ झिन साहेब मन तारी बजाइन। मंगलू के कांधा उप्पर हाथ धर के कलेटेटर साहेब ह जम्मो झिन संग एक बड़का मंडप कोती रेंग दिन।

मंडप ल देखके मंगलू के जी ह धकपकावत रहय। गोड़ ह कांपत रहय। काबर के आज ले ओला कोनो अइसन उच्छाह के दिन ह देखे ल नइ मिले रहय। फेर करतिस का, मने मन बल बांधत राहय। मंडप मां अउ बहुत झिन साहेब बइठे रहंय। गजब मनखे सकलागे रहंय, ए मौका मं। मंगलू ह गुनै के केतेक मनखे त हमर रइपुरा पुन्नी मेला मां नइ सकलावैं।

कलेट्टर साहेब ह खुर्छी उपर बइठे अउ मनखे मन ले मंगलू के भेंट कराइस – ये हैं रइपुरा गांव के सम्मानित किसान श्री मंगलप्रसाद जी। इन्हें ही आज पुरस्कृत किया जावेगा। जम्मो साहेब मन उठ उठ के हाथ मिलावत रहंय।

एनाम के बेरा ह आगे। कलेट्टर साहेब ह एक बड़का थैली मां नोट ल धर के मंगलू ल दिस। मंगलू के हाथ ह कांपत रहय। ओह ओ थैली ल मोंगरा ल दे दिस। सही मां आज इन्खर दिन ह सोन के होगे राहय।

कलेट्टर साहेब ह किहिस – क्यों भाई मंगलप्रसाद, आपने इतनी अच्छी उपज कैसे पैदा की। कृपया आप बताइये ताकि हमारे ये दूर-दूर से आए किसानों को भी आपसे प्रेरणा मिले और हमारा देश भी अन्न धन से परिपूर्ण हो अपने बल पर जी सके।

मंगलू ह अब ले हिम्मत बांध ले रिहिस। ओह किहिस – भइया अउ साहेब मन ला राम राम। मेंह अतेक बने खेती कैसे उपजायेंव तेला में कहे त सकथंव फेर जम्मो झिन के समझ मां परही तेला नइ कहे सकंव। में रइपुरा गांव के जुन्ना गौंटिया के बेटा आंव। बेरा के मार ल गजब्बेच खाय उप्पर मोर बहिनी ह मोला खेती के चेत कराइस। फेर जुच्छा चेत करे ले का होतिस। कहूं सरकार ह छोटका केसान मन के मदत नइ करतिस।

आज हमर सरकार ह छोटका केसान के जम्मों किसिम ले मदत करथे। में त नइ जानत रेहेंव, फेर भइया बइसाखू ह मोला जनइस।

आज खेती ह सही मां कहूं चेत करके करे जावय त कोनों मुस्कुल काम नो हे। अधिक अनाज उपजावन मां। में ह मेटरिक किलास तक पढ़े हहावंव। मोला ये सब समझे मां बेर नइ लागय के कब हरियर खाद डालना हे, के कब अमोनिम खाद। आज के खेती ह पढ़इया भाई मन बर बने हे। फेर आज के गवंइ के भाई मन सहर मां पढ़े ल आतें अउ नउकरी करके अपन फेसन चलाथें अउ खाय बर अनाज अपन घर ले मंगाथें। ओमन ये नइ गुनयं के धरती ह बिन पोसइया के कबले उनला पोसही। बिन रोये दाई दूध नइ पियावय। फेर धरती ह कइसे पेट पोसही।

में कइथौं के जम्मो गंवइ के केसान मन अपन बेटा मन ला जोन सहर मां रहिके उन्खर दूनों तरफ ले नुकसान करत हावंय, उनला गांव मां वापिस बुला लैं। अउ उनला खेती केसानी मां लगा दैं। मोर मन कइथे के एक दिन उनला घला अइसने मान मिलही। अउ ये मान ल देख के हमर देस के जी जुड़ाही। अउ धरती माता के छाया ह हमर उप्पर दुख नइ आवन दिही।

मंगलू के भाखर पूरिस त कलेट्टर साहेब ह मंगलू ल अपन कउरा मां पोटार लिस। मनखे मन दियना के अंजोर अपन हृदय मां धर के नवा जिनगी बर गुनत चल दिन।

रइपुर मां मंगलू के सम्मान होवत रहय। अउ एती रामधन ह अपन संगी मन संग मंगलू के बखरी मां टेमा धर के खुसर गे। धान ह गंजाय रहय। जइसने ये मन आगी ल लगाय बर धरिन, वइसने फिरन्ता ह आगे। मंगलू के फरिका मां तारा परे रहय। फेर भितरी मां टेमा लेके कोन रेगंत होही! फिरन्ता ह जोर ले हांका पारिस। फिरन्ता के हांका परइ ल सुनते ये मन अपन परान लेके भागिन। रद्दा मां फिरन्ता ह पहार असन ठाढ़ होगे।

कोन हसगा ? रुकव नइ त एक एक के मूंड़ी नइच बांचय।

फिरन्ता के हांका परइ ले गांव वाला मन घला जुरिया गें। रामधन अउ ओखर संगवारी मन के मुख ह करियागे। फिरन्ता ह किहिस – देखलौ गा एह हमर गांव के गौंटिया आय। एखर करनी ल त दैखों, आधा जिनगी ला त मंगलू भइया ह दुख मां काट दिस। कोनों गांव वाला मन ओखर साथ नइ दिन। आज ओखर सुख के दिन मां इन्खर आंखी ह काबर फूटथे।
क्रमशः

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