Wednesday, May 2, 2007

भाग - उनतीस


बरखा ह आगे। दू पहटिया अउ एक पहटनिन मंगलू ह रख लिस। रइपुर के कोपरेटिव बैंक ले किसम किसम के खातू बिसा के लानिस। खेत मां बीज डारेगे। भगवान ह घला मंगलू के मदत करत रहय, तइसने लागथे। खेत बर ठउका पानी गिरिस।

बेरा के संगे संग धान ह लाम होवत जावय। मंगलू ह अपन खेती मं तनियाये धान ल देख फूल जावय। समारु ह मेंढ़ उप्पर फुदकत फुदकत चलय।

देवारी ह फेर आगे। मंगलू के खेत मां मूंड़ी ले उप्पर धान रहय। सघन खेती के अफसर ल एखर खबर देय गिस। बइसाखू ह मिलके साहेब ल जम्मो बात बताइस। साहेब ह मंगलू के खेत ल आके देखिस त बक्क खाय देखत रहिगे। मंगलू के फोटू उतारे गिस। अउ ओखर धान के घला। थोरके दिन मां रइपुर के अखबार मन मां मंगलू के फोटू छपिस के ये किसान पढ़े-लिखे हावय। उप्पर ले अपन किसानी ल नइ छोड़िस अउ रइपुरा गांव मां जम्मो किसान मन ले ज्यादा अनाज पइदा करिस। तउने ले ओला दस हजार रुपिया सरकार ह इनाम दिही।

अब का पूछना हे। मंगलू ह बाबू मंगल प्रसाद होगे। केतकी अउ मोंगरा के साध ह पूरा होगे।

ये जम्मो गोठ ह सब्बो झिन ल त बने लागिस। फेर गौंटिया रामधन के करेजा ह फाटगे। ओला मंगलू के बढ़ती ह फुटहा आंखी नइ सुहाइस। अपन संगवारी मन ल जोड़के ओह पंचाइती बुलाइस। अउ ओमा मंगलू ल जात ले निकारे के बात चलाइस।

पंचायती में मंगलू ल घला बोलाय गिस। पंच मन के आगू मां रामधन ह किहिस – के मंगलू ह नांगर चलाइस हे तउने ले ओला जात ले अलग करना चाही। बाम्हन घर जनम लेके नांगर चलाना ए ह बने नो हे।

पंचाइती मां बइसाखू घला आय रिहिस ओह किहिस – धीर धर गा गौंटिया, बेरा ह नजीक आगे हे। जोन खेत ल बोही ओखरे खेत होही। नइ त जम्मो सरकार के हो जाही। मंगलू ह अगुवागे त एमा कोताही के काय गोठ हे।

रामधन ह किहिस – त हमन ओला अभी जात मां नइ राखन।

मंगलू ह बड़ बेर ले एमन के गोठ ल सुनत रहय। ओह चिचिया के किहिस – कसगा रामधन, जात ले के घांव निकारबे जी। एक घांव त निकारे डारे हवव सब्बे जुर मिलके। में त जात मां मिलबे नइ करेंव।

मंगलू ह चल दिस। पंचाइती घला बिन कोनों फइसला के उठगे। रामधन के चाल ह नइ चलिस। वोहा गुने लगिस मंगलू के हिन्ता कइसे करवं।
क्रमशः

No comments: